कोरोना प्रतिरोधी संजीवनी
कोरोना प्रतिरोधी संजीवनी
हनुमानजी द्वारा संजीवनी देकर असुरों के चलाए तीर से जख्मी लक्ष्मण के शरीर में व्याप्त जहर को समाप्त किया था, उसी प्रकार आज भारत में उपलब्ध मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन द्वारा गंदगी, सर्दी तथा सीलन के माध्यम से चीन के वुहान शहर से दुनिया में फैले संक्रमण कोविड-19 महामारी का इलाज किया जा रहा है।
भारत देश ज्ञान का भण्डार है। ज्ञान हमारी संस्कृति और साधना है। जबकि विज्ञान एक प्रयोग है, जिसके शिक्षण और डिग्री की आवश्यकता है। जहां तक मुझे ज्ञान है, जहरीले मक्खी, मच्छरों और कीड़ों के काटने से मलेरिया होने पर मनुष्य को तेज बुखार हो जाता है जिसे अत्यधिक कड़वी दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन (कुनेन) देकर उपचार किया जाता है। जिसके प्रभाव से बुुखार ठीक होता है।
दूसरी ओर कोरोना संक्रमण से फैल रहा है, जिसके कीटाणु है। इस बीमारी का इलाज भी मलेरिया में दी जाने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन से किया जाना बताया जा रहा है। दवा के प्रभाव से कोरोना के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं तथा अधिकांश रोगी ठीक हो रहे हैं। फिर भी इस समय स्थिति भयावह है। कहते हैं यह दवा को एक निश्चित मात्रा से ज्यादा और हर उम्र के रोगी तथा संक्रमित होने से पूर्व नहीं दी जा सकती।
संजीवनी की बात करें तो नीम का कड़वापन भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन से कम नहीं है। भारतीय परम्परानुसार प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि हिन्दू नव वर्ष के दिन नीम के पत्ते और मिश्री का प्रसाद लेने की परम्परा है। अनुभवी लोगों के अनुसार इसके सेवन से बीते सर्दी के मौसमी कीटाणुओं का नाश होकर खून साफ व नया शारीरिक संचार होता है। जिससे संक्रमित बीमारियां नहीं होतीं।
कोरोना से बचाव के संबंध में सरकार और विशेषज्ञों द्वारा निर्देशित सभी उपायों का पालन करते हुए आओ हम सब मिलकर आज ही चरणामृत मात्रा में नीम की थोड़ी सी पत्ती चबाकर खाएं। अगर कड़वी लगे तो आवश्यकतानुसार चीनी या मिश्री मिला लें। इसे पीसकर भी पानी में मिलाकर ले सकते हैं। नीम के सेवन से कई रोगों से बचा जा सकता है।
तोलाराम उपाध्याय 'घंटेवाला'
बीकानेर राजस्थान
हनुमानजी द्वारा संजीवनी देकर असुरों के चलाए तीर से जख्मी लक्ष्मण के शरीर में व्याप्त जहर को समाप्त किया था, उसी प्रकार आज भारत में उपलब्ध मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन द्वारा गंदगी, सर्दी तथा सीलन के माध्यम से चीन के वुहान शहर से दुनिया में फैले संक्रमण कोविड-19 महामारी का इलाज किया जा रहा है।
भारत देश ज्ञान का भण्डार है। ज्ञान हमारी संस्कृति और साधना है। जबकि विज्ञान एक प्रयोग है, जिसके शिक्षण और डिग्री की आवश्यकता है। जहां तक मुझे ज्ञान है, जहरीले मक्खी, मच्छरों और कीड़ों के काटने से मलेरिया होने पर मनुष्य को तेज बुखार हो जाता है जिसे अत्यधिक कड़वी दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन (कुनेन) देकर उपचार किया जाता है। जिसके प्रभाव से बुुखार ठीक होता है।
कोरोना से बचाव के संबंध में सरकार और विशेषज्ञों द्वारा निर्देशित सभी उपायों का पालन करते हुए आओ हम सब मिलकर आज ही चरणामृत मात्रा में नीम की थोड़ी सी पत्ती चबाकर खाएं। अगर कड़वी लगे तो आवश्यकतानुसार चीनी या मिश्री मिला लें। इसे पीसकर भी पानी में मिलाकर ले सकते हैं। नीम के सेवन से कई रोगों से बचा जा सकता है।
तोलाराम उपाध्याय 'घंटेवाला'
बीकानेर राजस्थान
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